मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

GULDASTA

1.
भीड़ को संबोधित करते हुए कहा
मंच पर से किसी एक ने,
आप में से आ जावे इंसान एक
मंच पर हमारे बीच में,
कहा उमड़ती भीड़ में से कुछ लोगों ने
यहाँ इंसान कोई भी नहीं है,
सबकी है पहचान अलग अलग इस भीड़ में
बतावें कौन आये मंच पर 
हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई आपके बीच में

2.
ज्यादा तर लोग किसी के बड़प्पन का
अंदाज़ लगते हैं उसकी दौलत से
पर सच तो ये है की बड़प्पन का अंदाज़
लगाना चैये उसकी तहज़ीब से

3.
आज की राजनीति ने फसाया इंसान को जंजाल में
सभी सोच कर परेशान हैं की क्या करे वो उस बवाल में
हिन्दू कह रहे मंदिर अच्छा, मुस्लिम कह रहे मस्जिद
कह रहे ईसाई गिरजा अच्छा, सिख कह रहे गुरुद्वारा
एक ही ईश के चरों धाम
इंसान फसे जन्जाले में
हिन्दू कहते राम अच्छे, मुस्लिम कहते अल्लाह
कहें ईसाई ईसा अच्छे, सिख कहें गुरुनानक
एक ही ईश के चारों नाम
इंसान फसे जन्जाले में

4.
अपनों से तो वो गैर ही अच्छे
जो कम से कम परेशान तो नहीं करते

5.
सच्ची बातें जादातर अच्छी नहीं होती
अच्छी बातें जादातर सच्ची नहीं होती
समाज सका इस राज़ को जो कोई भी
ज़िन्दगी में उसको परेशानी कभी नहीं होती


6
कण कहता है की मैं पीता हूँ शराब 
अरे ये तो दवा है, दवा दारू भी इसे कहते हैं लोग

7
दूसरों के अपना न होने का क्या शिकवा
जब अपना तन ही अपना न रह सका

8
आप जिससे नफरत करते हैं, और सोचते हैं की वो करे आपसे प्यार
तो मत रहिये धोखे में क्यूंकि ऐसा बहुत मुश्किल है मेरे यार

9
हर छोटा किसी न किसी से बड़ा है
हर बड़ा किसी न किसी से छोटा है
जिसने भी अपने को सबसे बड़ा समझा है
वोह मुहं के बल धरती पर हमेशा लोटा है

10.
जब तक हमको आपकी ज़रुरत थी हम आपसे मिलते रहे
अब अक्पो हमारी ज़रुरत है तो हम आपसे क्यूँ मिलें

11.

होली मुबारक
एक वक़्त था जब होली गले मिलने का त्यौहार था
ऐसा इसलिए था क्यूंकि आदमी को आदमी से प्यार था
क्या आ गया है ज़माना अब आदमी मिलने से कतराता है
ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि हर एक खुद को बेहतर समझता है
हमने उम्मीद नहीं छोड़ी और पुराना वक़्त आने का इंतज़ार है
 
3
Zyadatar jab koi vyakti apne mata pita se alag hota hai
to thode samay wo santan ki tarah vyawhaar karta hai
fir woh mehman ki tarah vyawhaar karta hai
aur ant mein wo beimaan ki tarah vyawhaar karta hai.
 
4
Har admi apne ko chodkar doosron ko kharab samajhta hai
kitna alag hota yadi woh doosron ko bhi apni tarah samajhta.
 
5
jo beemar hote hue bhi beemaron jaisa nahi dikhta hai
woh darasal mansik roop se swasth hota hai
jo swasth hote hue bhi beemaron jaisa dikhta hai
woh darasal mansik roop se aswasth hota hai.
 
 

 






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